ठाकुर साहब के पिताजी का नाम श्री गोपाल सिंह जी था। अतः श्री स्वामीजी के नाम से 'कृष्ण' और ठाकुर साहब के पिताजी के नाम से 'गोपाल' नाम को मिलाकर कृष्ण गोपाल नाम की रचना हुई। कालान्तर में ग्राम भी 'कालेडा-कृष्ण गोपाल' नाम से प्रख्यात हुआ। सन् 1945 में सर्वप्रथम कृष्ण गोपाल के संयुक्त नाम से पूर्व गठित संस्था को ट्रस्ट(न्यास) का रूप दिया गया।
संस्था का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण अंचल में चिकित्सा कार्य को आयुर्वेदिक पद्धति से विकसित करना रहा है। इसमें निर्धन जनता को निःशुल्क सेवा मुख्य है। इसी दृष्टि से सन् 1945 में कालेडा-कृष्ण गोपाल ग्राम में भवन निर्मित कर साधन सम्पन्न आयुर्वेदिक चिकित्सालय की स्थापना की गई। इसमें बहिरंग चिकित्सा के अतिरिक्त अंतरंग चिकित्स हेतु महिलाओं एवं पुरूषों के लिए पृथक-पृथक वार्ड का निर्माण किया। यहाँ प्रविष्ट रोगियों के लिए औषध पथ्य भोजन, फल आदि की निःशुल्क व्यवस्था है। अंतरंग रोगियों की चिकित्सा के लिए औषधियाँ भी निःशुल्क दी जाती है। रोग निदान हेतु प्रयोगशाला द्वारा निःशुल्क परीक्षण किये जाते हैं। यहाँ भारत के सभी प्रान्तों से रोगी स्वास्थ्य लाभ के लिए आते हैं। अब तक लाखों रूग्ण स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर चुके हैं। कालेड़ा के अतिरिक्त वर्तमान में विभिन्न स्थानों पर 9 निःशुल्क औषधालय संचालित किये जा है। चिकित्सा सेवा में कार्यरत संस्थाओं को भी औषधियों के रूप में निःशुल्क सहायता प्रदान की जाती है एवं ग्रामीण क्षेत्रों में भी निशुल्क शिविर नियमित रूप से आयोजित किये जाते हैं।
स्वास्थ्य एवं चिकित्सा का कार्य अधिक से अधिक व्यापक हो सके एवं आयुर्वेद का प्रचार बढ़े, इस दृष्टि से भवन ने 377 आयुर्वेदिक औषधियों का पूर्ण शुद्धता व शास्त्रोक्त पद्धति से निर्माण करने के अतिरिक्त पूर्व प्रकाशित 34 आयुर्वेदिक ग्रन्थों में से 21 ग्रन्थों का प्रकाशन निरन्तर किया है। जिसमें से कुछ ग्रँथ तो ड्रग एवं कॉस्मेटिक एक्ट 1940 के शिड्यूल टी की सूबों में सम्मिलित है। औषधियों का विक्रय मूल्य न्यून लाभ पर विभिन्न क्षेत्रों में एजेन्टों के माध्यम से किया जाता है। औषधियों और पुस्तकों की बिक्री से प्राप्त राशि का उपयोग स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सेवा कार्य हेतु किया जा रहा है।
आयुर्वेदिक पुस्तकों के प्रकाशन के अतिरिक्त, वर्ष 1953 से आयुर्वेद के प्रचार-प्रसार के लिए पत्रिका का प्रकाशन किया जा रहा है। इस पत्रिका की देश के विभिन्न प्रान्तों में काफी मांग है। स्वास्थ्य त्रैमासिक पत्रिका का वार्षिक मूल्य 100/- रू. है तथा पंचवार्षिक मूल्य 400/- रू है।
इस सब लोकोपकारी कार्यों को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए धर्मार्थ ट्रस्ट बना हुआ है। प्रतिष्ठित एवं सेवाभावी विशिष्ट व्यक्ति इसके सदस्य हैं। कृष्ण गोपाल आयुर्वेद भवन (धर्मार्थ ट्रस्ट) प्रातः स्मरणीय संस्थापकों की पवित्र एवं उदार भावना का पूरी निष्ठा के साथ पालन करने के साथ ही आयुर्वेद चिकित्सा एवं विस्तार की ओर अग्रसर है।
साभार: कृष्ण गोपाल आयुर्वेद भवन,(धर्मार्थ ट्रस्ट), कालेड़ा, अजमेर, राजस्थान द्वारा प्रकाशित साहित्य से । लेख का उद्देश्य संस्था के पवित्र कार्य का प्रचार प्रसार है...