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आचार्य आयुर्वेदा

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Hemant Kumar Apr 2, 2024

आयुर्वेद में अभ्यंग का महत्व और निषेध: कफज विकारों और अजीर्णरोग से पीड़ित व्यक्तियों के लिए सावधानी

आयुर्वेद में अभ्यंग (मालिश) का निषेध

आयुर्वेद में अभ्यंग (मालिश) को शरीर की शुद्धि और स्वस्थता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह शरीर के संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है और स्वास्थ्य को सुधारता है। हालांकि, कुछ समय पर कफज विकारों से पीड़ित व्यक्तियों के लिए अभ्यंग का प्रयोग न करना सुरक्षित हो सकता है।

कफज विकारों, प्रतिश्याय (जुकाम) से पीड़ित रोगियों को मालिश का निषेध किया जाता है। इसका कारण है कि अभ्यंग करने से उनकी स्थिति और भी बिगड़ सकती है, और उन्हें अधिक समस्याएं हो सकती हैं।

अभ्यंग का निषेध उन व्यक्तियों के लिए भी है जो अजीर्णरोग से पीड़ित हैं।

अजीर्णरोग से पीड़ित व्यक्तियों को अभ्यंग करने से बचना चाहिए क्योंकि इससे उनकी स्थिति और भी बिगड़ सकती है और उन्हें अधिक समस्याएं हो सकती हैं।

अष्टांगह्रदयम में तो कहा भी गया है की :

वर्ज्योऽभ्यङ्गः कफग्रस्तकृतसंशुद्धयजीर्णिभिः ॥ ९ ॥

 

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Note: This article is for informational purposes only and does not substitute professional medical advice. Always consult a healthcare provider before starting any new supplement or treatment regimen.