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आचार्य आयुर्वेदा

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Hemant Kumar Apr 3, 2024

हरड़: आयुर्वेदिक औषधि का रहस्य

हरीतकी को  चिकित्सा साहित्य में अत्यधिक सम्मान देते हुए उसे अमृतोपम औषधि कहा है। चिकित्सा साहित्य के अनुसार-

यस्य माता गृहे नास्ति, तस्य माता हरीतकी।

कदाचिद् कुप्यते माता, नोदरस्था हरीतकी ॥

(अर्थात् हरीतकी मनुष्यों की माता के समान हित करने वाली है। माता तो कभी-कभी कुपित भी हो जाती है, परन्तु  खायी हुई हरड़ कभी भी अपकारी नहीं होती।)

हरड़, जिसे वैज्ञानिक रूप से "Terminalia chebula" के नाम से जाना जाता है, एक प्राचीन आयुर्वेदिक औषधि है जो विभिन्न रोगों के उपचार में प्रयोग किया जाता है। हरड़ का नाम संस्कृत शब्द "हरित" से आया है, जिसका अर्थ होता है "हरा" या "हरित"। इसे एक "रसायन" माना जाता है, जो शरीर के विभिन्न रोगों के उपचार में सहायक होता है।

पाचन तंत्र को संतुलित करें: हरड़ शक्तिशाली पाचन तंत्र और अच्छे भोजन संग्रह के रूप में जाना जाता है। यह अपच और आजीवन दुर्बलता को दूर करता है, और पाचन क्रिया को सुधारता है।

त्रिदोष शांति: हरड़ वात, पित्त, और कफ को बैलेंस करने में मदद करता है। यह शरीर की तापमान को संतुलित करता है और रोगों को दूर रखता है।

ज्वर और संक्रमण का उपचार: हरड़ में एंटीफंगल, एंटीबैक्टीरियल, और एंटीवायरल गुण होते हैं, जो इंफेक्शन और ज्वर के उपचार में मदद करते हैं।

मूत्र विसर्जन को बढ़ावा दें: हरड़ मूत्र विसर्जन को बढ़ावा देता है, जो शरीर के विषाक्त तत्वों को निकालने में मदद करता है।

गले की समस्याओं का उपचार: हरड़ गले की समस्याओं को ठीक करने में मदद करता है, जैसे कि खांसी, कफ, और गले की खराश।

आयुर्वेद में हरड़ को शरीर के और मन के लिए एक गहन औषधि के रूप में माना जाता है। इसका नियमित उपयोग आपको स्वस्थ और संतुलित जीवन जीने में मदद कर सकता है और आपको अच्छी तरह से संतुलित और सकारात्मक महसूस करने में मदद कर सकता है।

Note: This article is for informational purposes only and does not substitute professional medical advice. Always consult a healthcare provider before starting any new supplement or treatment regimen.