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BRAHMARASAYAN (GOLD) ब्राह्मरसायन(स्वर्णयुक्त)

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ब्राह्मरसायन(स्वर्णभस्म युक्त) को  च्यवनप्राश भी कह सकते हैं!
ये नवयौवन लाने, ताक़त और स्टैमिना बढ़ाने, दिमागी ताक़त बढ़ाने, यादाश्त तेज़ करने, दिल-दिमाग की रक्षा करने,  चुस्ती-फुर्ती लाता है।असमय बालों को सफ़ेद होने से बचाना और दीर्घायु होने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है. 

चरक संहिता में ‘ब्राहारसायन’ योग के बारे में विवरण पढ़ने को मिलता है। इस विवरण के आधार पर अन्य आयुर्वेदिक ग्रन्थों, जैसे रस योग सागर, आयुर्वेद सार संग्रह, रसतन्त्र सार व सिद्ध प्रयोग संग्रह आदि में भी इस योग के बारे में विवरण मिलता है। 
इस योग की प्रमुख विशेषता यह है कि यह सिर्फ़ शरीर को ही बल नहीं देता बल्कि मस्तिष्क को भी सशक्त करता है तथा स्मरण शक्ति को बढ़ाता है।ब्रह्म रसायन एक रसायन औषधि है जिसके इस्तेमाल से शारीरिक और मानसिक कमज़ोरी दूर होती है, 

यह आयुर्वेदिक योग दोहरा लाभ करता है। इसके सेवन से जहां शरीर के विकार और दौर्बल्य के लक्षण दूर होते हैं, शरीर में मौजूद रोग दूर होते हैं और शरीर में नये बल, स्फूर्ति, कान्ति, वीर्यधारण शक्ति तथा ओज की अति वृद्धि होती है ।

स्मरण शक्ति बढ़ाने में फायदेमंद ब्रह्मा रसायन का प्रयोग-वहां मेधा, स्मरण शक्ति, मनोबल आदि में भी भारी वृद्धि होती है।
यदि सेवन करने वाला नियमित दिनचर्या, उचित आहार-विहार और उत्तम आचार-विचार का पालन करते हुए ब्रह्मा रसायन का नियमित सेवन करता रहे तो वह दीर्घायु तक स्वस्थ, सबल और निरोग बना रह सकता है।

प्राचीन ऋषि गण उत्तम आचरण करते हुए ऐसे ही उत्तम योगों का सेवन कर दीर्घकाल तक स्वस्थ और पराक्रमी जीवन जीते थे।
आयुर्वेद ने विविध प्रकार के श्रेष्ठ रसायन गुण वाले उत्तम योग प्रस्तुत किये हैं उनमें ब्रह्मा रसायन एक उत्तम और सौम्य प्रकार का योग है जो छात्र-छात्रा, दिमागी काम करने वाले स्त्री-पुरुष, प्रौढ़ एवं वृद्ध सभी के लिए सेवन योग्य है।
 यह योग ह्रदय, मस्तिष्क, फेफड़ों, आमाशय, यकृत, प्लीहा, वृक्क आदि सभी अवयवों को सबल व निरोग बना कर शरीर की काया पलट कर देता है।
अधिक चिन्ता और किसी भी ढंग से वीर्यनाश करने से उत्पन्न हुई शुक्रक्षीणता एवं शारीरिक दुर्बलता दूर करने के लिए यह योग अत्यन्त लाभकारी है।
यह योग शरीर की रोगप्रतिरोधक शक्ति बढ़ाता है जिससे एलर्जी की शिकायत खत्म होती है और संक्रमण (Infection) के प्रभाव से शरीर सुरक्षित रहता है।

घटक/प्रक्षेप/क्वाथ द्रव्य :-ताजा पक्व हरी हरड़, ताजा पक्व हरे आंवलें, गोघृत, शर्करा, ब्राह्मी, पीपल, शंख पुष्पी, नागरमोथा, बड़ामोथा, वायविडंग, सफेद चन्दन, अगर, मुलहठी, हल्दी, वच, छोटी इलायची, दालचीनी,शालपर्णी, पृष्णपर्णी, छोटी कटेली, बड़ी कटेली, छोटे गोखरू, बेलछाल, अरणी छाल, श्योनाक, गम्भीरी छाल,पाढ़ल छाल, पुनर्नवा, मुद्गपर्णी, माषपर्णी, बला,एरण्डमूल, जीवक, ऋषभक, मेदा, शतावरी, जीवन्ती, शर(नरकट), ईख, दर्भ, कुश, शालिधान्य एवं स्वर्णभस्म।

प्रयोग विधि:- 2 ग्राम से 3 ग्राम, सांयकाल भोजन के डेढ़ घंटे पश्चात या प्रातकाल खाली, दूध से।
(चिकित्सक के परामर्शनुसार)


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